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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।- श्री कृष्णा (श्रीमदभागवतगीता)🚩 🕉️🐚
मैं रणचंडी का अथक प्यास, मैं काली का उन्मत्त हास।